वर्णमाला किसे कहते हैं?

वर्णमाला अक्षरों या ध्वनियों का वह क्रमबद्ध समूह है, जिसके माध्यम से किसी भाषा को लिखा और पढ़ा जाता है। हिंदी भाषा में वर्णमाला को स्वर, व्यंजन और उनके उपविभाजनों में बांटा गया है।


वर्णमाला के प्रकार

हिंदी वर्णमाला को मुख्यतः दो प्रकारों में विभाजित किया गया है:

  1. स्वर (Vowels)
  2. व्यंजन (Consonants)

इसके अतिरिक्त, हिंदी वर्णमाला में अन्य विशेष ध्वनियां भी होती हैं:

  • अनुस्वार (अं)
  • विसर्ग (अः)
  • चंद्रबिंदु (ँ)

हिंदी वर्णमाला का वर्गीकरण (टेबल के माध्यम से)

प्रकारवर्णों की संख्यावर्ण
स्वर13अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
व्यंजन33क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह
अंतःस्थ4य, र, ल, व
ऊष्म4श, ष, स, ह
अन्य3अं, अः, ँ

वर्णमाला का उच्चारण स्थान (टेबल)

उच्चारण स्थानस्वर/व्यंजनउदाहरण
कंठ्यअ, क, ख, ग, घ, हकमल, घर
तालव्यइ, ई, च, छ, ज, झ, यचम्मच, जलेबी
मूर्धन्यऋ, ट, ठ, ड, ढ, ण, षटमाटर, डमरू
दन्त्यत, थ, द, ध, न, ल, सतलवार, नली
ओष्ठ्यउ, ऊ, प, फ, ब, भ, म, वपुस्तक, माला
नासिक्यअं, ङ, ञ, ण, न, मअंगूर, मछली

स्वरों का वर्गीकरण (टेबल)

स्वरमात्रा चिह्नउदाहरण
(कोई नहीं)अनार
आम
िइमली
ईख
उल्टी
ऊन
ऋषि
एक
ऐनक
ओस
औरत
अंअंगूर
अःदुःख

व्यंजनों का वर्गीकरण (टेबल)

वर्गवर्णउदाहरण
कंठ्यक, ख, ग, घ, ङकमल, घड़ा
तालव्यच, छ, ज, झ, ञचम्मच, झरना
मूर्धन्यट, ठ, ड, ढ, णटमाटर, डमरू
दन्त्यत, थ, द, ध, नतरबूज, नदी
ओष्ठ्यप, फ, ब, भ, मफल, मकान
अंतःस्थय, र, ल, वयज्ञ, रथ, लता
ऊष्मश, ष, स, हशेर, हाथी

विशेष वर्ण (अनुस्वार, विसर्ग, चंद्रबिंदु)

वर्णउदाहरण
अनुस्वार (अं)अंगूर
विसर्ग (अः)दुःख
चंद्रबिंदु (ँ)चाँद

1. अनुस्वार (Anusvaar)

अनुस्वार एक बिंदु (•) के रूप में लिखा जाता है और इसे शब्द के बीच या अंत में स्वर के ऊपर रखा जाता है। यह नाक से निकलने वाली ध्वनि को दर्शाता है।

परिभाषा

अनुस्वार वह ध्वनि है, जो व्यंजनों के उच्चारण में नासिका (नाक) का उपयोग करती है। यह पाँचवाँ वर्ण (ङ, ञ, ण, न, म) के स्थान पर प्रयुक्त होता है।

उदाहरण

शब्दअनुस्वार ध्वनिअर्थ
संध्या“ं” -> नासिक्य ध्वनिशाम
अंगूर“ं” -> नासिक्य ध्वनिएक फल
संबंध“ं” -> नासिक्य ध्वनिरिश्ता

विशेषताएं

  1. अनुस्वार का चिह्न (ं) पाँचवाँ वर्ण को दर्शाता है।
  2. यह स्वर और व्यंजन के मेल से ध्वनि को नासिक्य बनाता है।
  3. यह शब्दों को सरल और तेज उच्चारण में सहायक बनाता है।

2. अनुनासिक (Anunaasik)

अनुनासिक स्वर या व्यंजन वह ध्वनि है, जो मुख और नासिका दोनों से निकलती है। इसे स्वर या व्यंजन पर चंद्रबिंदु (ँ) के रूप में दर्शाया जाता है।

परिभाषा

अनुनासिक वह ध्वनि है, जिसमें हवा का प्रवाह नासिका और मुख से एक साथ होता है।

उदाहरण

शब्दअनुनासिक ध्वनिअर्थ
चाँद“ँ” -> अनुनासिक स्वरचंद्रमा
माँ“ँ” -> अनुनासिक स्वरमाता
हँसना“ँ” -> अनुनासिक स्वरमुस्कुराना

विशेषताएं

  1. अनुनासिक स्वर/व्यंजन को चंद्रबिंदु (ँ) से दर्शाया जाता है।
  2. यह स्वर को गहराई और नासिक्य प्रभाव देता है।
  3. अनुनासिक उच्चारण का उपयोग भावों को व्यक्त करने में मदद करता है।

अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर

पैरामीटरअनुस्वारअनुनासिक
चिह्नबिंदु (ं)चंद्रबिंदु (ँ)
उच्चारण का स्थाननासिकामुख और नासिका
उदाहरणअंगूर, संबंधमाँ, चाँद
प्रभावपाँचवें वर्ण (ङ, ञ, ण) का स्थान लेता हैस्वर/व्यंजन को नासिक्य बनाता है

अनुस्वार और अनुनासिक का उपयोग हिंदी वर्णमाला में

शब्दचिह्नप्रभाव
संगीतमय (अनुस्वार)“ं”नासिक्य ध्वनि
माँ (अनुनासिक)“ँ”स्वर का अनुनासिक प्रभाव
चाँद (अनुनासिक)“ँ”गहराई और मधुरता
संबंध (अनुस्वार)“ं”स्पष्टता और प्रवाह

अनुस्वार और अनुनासिक ध्वनियां हिंदी भाषा की मधुरता और उच्चारण को प्रभावी बनाती हैं। दोनों का सही और उचित उपयोग शब्दों के अर्थ और ध्वनि को स्पष्ट बनाता है। इनके उपयोग का अभ्यास भाषा को अधिक समृद्ध और प्रभावी बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights