सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व के बीच फली-फूली और अपनी उन्नत शहरी योजना, कला, व्यापार, और विज्ञान के लिए प्रसिद्ध है।
सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं:
- शहरी नियोजन:
- शहरों का निर्माण एक विशेष ग्रिड प्रणाली पर हुआ था।
- सड़कों को 90 डिग्री के कोण पर बनाया गया था।
- घर पक्की ईंटों से बने थे और जल निकासी की उन्नत प्रणाली थी।
- महत्वपूर्ण स्थान:
- मोहनजोदड़ो: ‘महान स्नानागार’ और जल निकासी प्रणाली के लिए प्रसिद्ध।
- हड़प्पा: अनाज के भंडार और किलेबंदी के लिए जाना जाता है।
- धोलावीरा: जल संचयन प्रणाली और पत्थर की संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध।
- लोथल: व्यापारिक बंदरगाह और डॉकयार्ड के लिए विख्यात।
- आर्थिक गतिविधियां:
- मुख्य आर्थिक गतिविधियां कृषि, व्यापार और हस्तशिल्प थीं।
- कपास और गेहूं की खेती प्रमुख थी।
- व्यापार के लिए सोने, चांदी, और मोतियों का उपयोग होता था।
- लिपि और लेखन:
- सिंधु लिपि चित्रात्मक थी, लेकिन इसे अभी तक पूरी तरह से पढ़ा नहीं जा सका है।
- धार्मिक जीवन:
- पशुपति (शिव का प्रारंभिक रूप) और मातृ देवी की पूजा होती थी।
- वृक्ष, जल और अग्नि जैसे प्राकृतिक तत्वों की पूजा की जाती थी।
प्रमुख संरचनाएं और उनकी विशेषताएं:
संरचना | विशेषता |
महान स्नानागार | धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग |
अनाज के भंडार | खाद्य सामग्री का संरक्षण |
जल निकासी प्रणाली | उन्नत शहरी स्वच्छता |
पतन के कारण:
- जलवायु परिवर्तन और सूखा।
- सरस्वती नदी का विलुप्त होना।
- आक्रमणकारी जनजातियों का आगमन।
- व्यापार में गिरावट।