सिंधु घाटी सभ्यता: एक विस्तृत अध्ययन

सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व के बीच फली-फूली और अपनी उन्नत शहरी योजना, कला, व्यापार, और विज्ञान के लिए प्रसिद्ध है।


सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं:

  1. शहरी नियोजन:
    • शहरों का निर्माण एक विशेष ग्रिड प्रणाली पर हुआ था।
    • सड़कों को 90 डिग्री के कोण पर बनाया गया था।
    • घर पक्की ईंटों से बने थे और जल निकासी की उन्नत प्रणाली थी।
  2. महत्वपूर्ण स्थान:
    • मोहनजोदड़ो: ‘महान स्नानागार’ और जल निकासी प्रणाली के लिए प्रसिद्ध।
    • हड़प्पा: अनाज के भंडार और किलेबंदी के लिए जाना जाता है।
    • धोलावीरा: जल संचयन प्रणाली और पत्थर की संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध।
    • लोथल: व्यापारिक बंदरगाह और डॉकयार्ड के लिए विख्यात।
  3. आर्थिक गतिविधियां:
    • मुख्य आर्थिक गतिविधियां कृषि, व्यापार और हस्तशिल्प थीं।
    • कपास और गेहूं की खेती प्रमुख थी।
    • व्यापार के लिए सोने, चांदी, और मोतियों का उपयोग होता था।
  4. लिपि और लेखन:
    • सिंधु लिपि चित्रात्मक थी, लेकिन इसे अभी तक पूरी तरह से पढ़ा नहीं जा सका है।
  5. धार्मिक जीवन:
    • पशुपति (शिव का प्रारंभिक रूप) और मातृ देवी की पूजा होती थी।
    • वृक्ष, जल और अग्नि जैसे प्राकृतिक तत्वों की पूजा की जाती थी।

प्रमुख संरचनाएं और उनकी विशेषताएं:

संरचनाविशेषता
महान स्नानागारधार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग
अनाज के भंडारखाद्य सामग्री का संरक्षण
जल निकासी प्रणालीउन्नत शहरी स्वच्छता

पतन के कारण:

  1. जलवायु परिवर्तन और सूखा।
  2. सरस्वती नदी का विलुप्त होना।
  3. आक्रमणकारी जनजातियों का आगमन।
  4. व्यापार में गिरावट।

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