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महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अमरावती ज़िले के रिद्धापुर में स्थित प्रस्तावित मराठी भाषा विश्वविद्यालय के लिए ₹3.24 करोड़ की प्रारंभिक वित्तीय सहायता को स्वीकृति दी है। यह विश्वविद्यालय न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में पहला ऐसा संस्थान होगा जो पूर्णतः मराठी माध्यम में उच्च शिक्षा प्रदान करेगा।
🔹 मराठी भाषा को मिलेगा वैश्विक मंच
मराठी भारत की प्रमुख भाषाओं में से एक है, जिसे लगभग 8 करोड़ से अधिक लोग मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। इसके बावजूद उच्च शिक्षा में मराठी भाषा को वह स्थान नहीं मिला जिसकी वह हकदार है। इस विश्वविद्यालय के निर्माण से छात्रों को मराठी माध्यम में स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध जैसे पाठ्यक्रमों में अध्ययन करने का अवसर मिलेगा।
📍 विश्वविद्यालय कहाँ बन रहा है?
यह विश्वविद्यालय अमरावती जिले के रिद्धापुर नामक स्थान पर बनाया जाएगा, जो विदर्भ क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। सरकार ने इसके लिए भूमि चिह्नित कर दी है और प्रथम चरण के कार्य हेतु ₹3.24 करोड़ की मंजूरी दे दी है। भविष्य में इसका विस्तार कर इसे एक राज्य स्तरीय उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
📖 विश्वविद्यालय का उद्देश्य
- मराठी भाषा और साहित्य के संरक्षण और संवर्धन के लिए मंच प्रदान करना।
- मराठी भाषा में तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना।
- मराठी में शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करना।
- विद्यार्थियों को मातृभाषा में उच्च शिक्षा प्रदान करना।
📊 ₹3.24 करोड़ राशि का उपयोग कहाँ होगा?
यह राशि विश्वविद्यालय की मूलभूत संरचना विकसित करने हेतु प्रयोग की जाएगी:
- प्रारंभिक भवन निर्माण
- शिक्षक और प्रशासनिक स्टाफ की नियुक्ति
- पुस्तकालय, डिजिटल लैब्स और कक्षाओं की व्यवस्था
- ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में पाठ्यक्रम की डिज़ाइनिंग
🧠 मराठी में उच्च शिक्षा: ज़रूरत क्यों?
देश की अधिकांश शिक्षा प्रणाली अंग्रेज़ी माध्यम पर आधारित है, जिससे अनेक ग्रामिण और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उच्च शिक्षा में कठिनाई होती है। मराठी जैसे क्षेत्रीय भाषाओं में विश्वविद्यालय स्थापित करने से विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में गहराई से अध्ययन कर सकेंगे और बौद्धिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
📌 राज्य सरकार का बयान
राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा, “मराठी भाषा हमारे गौरव का प्रतीक है। यह विश्वविद्यालय आने वाली पीढ़ियों को अपनी भाषा में पढ़ने, सोचने और शोध करने का अवसर देगा।“
📢 सामाजिक और शैक्षिक संगठनों की प्रतिक्रिया
राज्यभर के साहित्यिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक संगठनों ने इस पहल का स्वागत किया है। विशेष रूप से मराठी साहित्य परिषद ने इसे “ऐतिहासिक और प्रेरणादायक कदम” बताया है। कई संगठनों ने मांग की है कि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी इसी तरह के विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए।
🌍 मराठी भाषा का वैश्विक महत्व
विश्वभर में मराठी बोलने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, विशेषकर अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, यूएई और कनाडा जैसे देशों में मराठी भाषी समुदाय सक्रिय है। यह विश्वविद्यालय विदेशों में मराठी भाषा और संस्कृति को विस्तार देने का एक प्रभावशाली माध्यम बन सकता है।
🧭 आगे की योजना
सरकार ने संकेत दिए हैं कि अगले दो वर्षों में यह विश्वविद्यालय पूरी तरह से क्रियाशील हो जाएगा। इसके तहत:
- BA, MA, PhD, B.Ed जैसे पाठ्यक्रम मराठी माध्यम में शुरू होंगे।
- विदेशी छात्रों को भी मराठी साहित्य में शोध का अवसर मिलेगा।
- ऑनलाइन मराठी लर्निंग प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया जाएगा।
🚀 निष्कर्ष
रिद्धापुर में मराठी विश्वविद्यालय की स्थापना एक भाषा-आधारित शिक्षा क्रांति की शुरुआत है। यह न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखेगा, बल्कि भाषा, संस्कृति और समाज को भी एक नई दिशा देगा। आने वाले वर्षों में यह पहल भारत के अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सकती है।