एके एंटनी का जीवन परिचय: ईमानदारी की मिसाल बने कांग्रेस नेता
अपडेट: | पढ़ने का समय: 4 मिनट
एके एंटनी (A.K. Antony) भारत के एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। उन्होंने तीन बार केरल के मुख्यमंत्री और भारत सरकार में रक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। उनकी छवि एक बेहद ईमानदार और सरल राजनेता के रूप में जानी जाती है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- पूरा नाम: अरक्कल चेरियन एंटनी (Arackaparambil Kurien Antony)
- जन्म: 28 दिसंबर 1940, चेरथला, केरल
- शिक्षा: लॉ कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से विधि में स्नातक
- राजनीति में प्रवेश: छात्र राजनीति के माध्यम से
राजनीतिक सफर
एके एंटनी का राजनीतिक करियर बहुत ही लंबा और प्रभावशाली रहा है:
- 1960 के दशक में केरल छात्र संघ (KSU) से राजनीति की शुरुआत
- 1977 में पहली बार केरल के मुख्यमंत्री बने – उस समय भारत के सबसे युवा मुख्यमंत्री
- तीन बार केरल के मुख्यमंत्री (1977, 1995, 2001)
- 2006 से 2014 तक भारत सरकार में रक्षा मंत्री के पद पर कार्यरत रहे
रक्षा मंत्री के रूप में योगदान
एके एंटनी भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले रक्षा मंत्रियों में से एक रहे। उन्होंने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और रक्षा सौदों में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। उनके कार्यकाल में कई स्वदेशी रक्षा परियोजनाएं शुरू हुईं।
प्रमुख उपलब्धियां
- भारत के सबसे ईमानदार नेताओं में से एक माने जाते हैं
- तीन बार केरल के मुख्यमंत्री
- 8 वर्षों तक भारत के रक्षा मंत्री
- कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकार और मार्गदर्शक
व्यक्तिगत जीवन
एके एंटनी का जीवन हमेशा सादगी और ईमानदारी का उदाहरण रहा है। वे अपनी स्पष्टवादिता और मौन स्वभाव के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका निजी जीवन विवादों से दूर रहा है। उनकी पत्नी एलिजाबेथ एंटनी हैं और उनका एक पुत्र है – अनिल एंटनी, जो अब राजनीति में सक्रिय हैं।
वर्तमान स्थिति
वर्ष 2025 में एके एंटनी सक्रिय राजनीति से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी में एक मार्गदर्शक की भूमिका में हैं। हाल ही में वे अपने बेटे अनिल एंटनी के भाजपा में शामिल होने को लेकर सुर्खियों में रहे।
निष्कर्ष
एके एंटनी भारतीय राजनीति में उन कुछ नेताओं में गिने जाते हैं जिनकी छवि पूरी तरह बेदाग और ईमानदार रही है। उनकी राजनीति का सफर युवाओं को प्रेरित करता है कि सादगी और ईमानदारी से भी देश की सेवा की जा सकती है।