संधि-विच्छेद —
यह पेज संधि-विच्छेद की ठोस रणनीति, नियम (NCERT-शैली), उदाहरण और बहुत अभ्यास देता है — प्रतियोगी परीक्षा/कक्षा के लिए उपयोगी।
1. संधि और संधि-विच्छेद — संक्षेप में
संधि — जब दो अक्षर/ध्वनि बहुत समीप आकर स्वरूप बदल देते हैं, वह परिवर्तन संधि है। (उदाहरण: नमः + ते → नमस्ते)।
संधि-विच्छेद — संधि द्वारा बने संयुक्त शब्द को दो मूल पदों में बाँटना ही संधि-विच्छेद है। यानी संधि-विच्छेद = (संधि को उल्टा करना) = संयुक्त शब्द → मूल शब्द + मूल शब्द।
(स्रोत-जैसी व्याख्या NCERT पाठ्यपुस्तक पर आधारित है — अधिक औपचारिक नियमों के लिए NCERT देखें)।
2. संधि के मुख्य प्रकार (सार)
- स्वर संधि (अच्) — दो स्वरों के मिलने से। उप-प्रकार: दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, पर्वूरूप आदि।
- व्यंजन संधि (हल्) — व्यंजन-व्यंजन या व्यंजन-स्वर के मेल से होने वाला परिवर्तन (उदाहरण: श्चुत्व, ष्टत्व, जश्त्व आदि)।
- सर्ग/विसर्ग संधि (सर्ग) — जब शब्द अंत में विसर्ग (:) हो और उसके बाद का अक्षर मिलकर रूप बदल दे (उदाहरण: नमः + ते = नमस्ते)।
- अनुस्वार/अनुनासिक सम्बन्धी परिवर्तन — म/न् आदि के कारण उत्पन्न नासिक्यकरण या ‘ं’ का बनना (उदाहरण: सम् + ग्राम = संग्राम का प्रकार)।
3. संधि-विच्छेद करने की ठोस रणनीति (STEP-BY-STEP)
- शब्द का अर्थ/संदर्भ पढ़ें: संदर्भ से अधिकतर सही विच्छेद मिल जाएगा — परीक्षा में यह सबसे तेज रास्ता है।
- विशेष चिन्ह खोजें: शब्द में अगर
ं (अनुस्वार)
,ः (विसर्ग)
, या् (हलन्त)
है तो संभावित विच्छेद आसान होता है। - स्वर-समूह देखें (मध्यवर्ती मात्राएँ): जैसे ‘ा’, ‘े’, ‘ो’, ‘ै’, ‘ौ’ — इन्हें उलटने के लिए क्लासिक नियम याद रखें (नीचे तालिका)।
- सबसे पहले विसर्ग/अनुस्वार रोलबैक करें: कई शब्दों में विसर्ग/अनुस्वार किसी उपसर्ग के कारण बनता है — उसे वापस रख कर देखें (जैसे नमस्ते → नमः + ते)।
- उपसर्गों की सूची पर विचार करें: उपसर्ग जैसे सम्/सु/नि/उप/प्रति/अधि/वि — अगर शब्द में ‘स’ या ‘सं’ आता है, अक्सर ‘सम्’ उपसर्ग की वजह से है।
- व्यंजन-सन्धि नियम आजमाएँ: (श्चुत्व आदि) — उदाहरण के लिए ‘स’ + ‘च’ से ‘श्च’ या ‘स’ + ‘त’ से ‘स्त’ बन सकता है।
- विकल्प बनाकर अर्थ पर जाँच करें: सभी संभावित विच्छेद लिखें और देखें कौन-सा मीटता है (अर्थ/रचना/प्रयोग)।
ये कदम NCERT शैली के नियमों पर आधारित हैं — और प्रतियोगी परीक्षाओं में यही विधि काम आती है।
4. उपयोगी तालिकाएँ — उल्टा करने के लिए (सर्वाधिक प्रयोग)
4.1 स्वर संधि (सामान्य उल्टा तालिका)
संयुक्त स्वर/मात्रा | मूल मिलन (संभव) | उदाहरण |
---|---|---|
आ (ा) | अ + अ (या आ + अ, अ + आ) | निम्न + अंकित = निम्नांकित, विद्या + आलय = विद्यालय |
ए/ऐ (े/ै) | अ/आ + इ/ई → ए/ऐ | कवि + इंद्र = कवींद्र (इ प्रकार), परि + ईक्षा = परीक्षा |
ओ/औ (ो/ौ) | अ/आ + उ/ऊ → ओ/औ | भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग |
ई (ी) | इ + इ, ई + इ, इ + ई | कवि + ईश = कवीश (कवि + ईश) |
ऊ (ू) | उ + उ, ऊ + उ, उ + ऊ | अनु + उदित = अनूदित |
4.2 विसर्ग-संधि (मुख्य रूप)
स्थिति | परिवर्तन | उदाहरण |
---|---|---|
विसर्ग + त्/त → स्त | नमः + ते = नमस्ते | नमः + ते = नमस्ते |
विसर्ग + च/छ/श → श्च/श्च (नजदीकी) | नि: + चल = निश्चल | नि: + चल = निश्चल |
विसर्ग + क/ख/ग → ष्क/ष्भ आदि (विशेष) | नि: + कपट = निष्कपट | नि: + कपट = निष्कपट |
4.3 व्यंजन-संधि (कुछ सामान्य नियम)
- श्चुत्व: स्/त् वर्ग + च् वगैरह → श्च/च … (उदाहरण: मनस् + चलति = मनश्चलति)
- ष्टत्व: त्/ट् आदि + त् → ष्ट (उदा. चतुः + टीका = चतुष्टीका)
- जश्त्व/लत्व आदि — अन्य जटिल परिवर्तन (NCERT में विस्तृत)।
5. परीक्षा‑लक्ष्य ट्रिक / यादगार नियम
- अगर शब्द में ‘सं’ या ‘सँ’ दिखे और बाद का अक्षर व्यंजन समूह (क्/ग्/प्) से है — अक्सर यह सम् उपसर्ग का रूप है (उदा. संग्राम = सम् + ग्राम)।
- अगर मध्य में ‘्’ (हलंत) और दो व्यंजन लगे हों, सम्भव हो तो विच्छेद व्यंजन‑वर्ग नियम से जोड़ कर देखें।
- विसर्ग (:) मिलने पर सबसे पहले ‘नम:’-शैली रूप को याद करें — नमस्ते, निश्चल, निष्कपट जैसी शब्द-परिवार।
- स्वर-समूह (ा/े/ो/ै/ौ) अक्सर दो स्वरों के मेल का परिणाम होते हैं — इन्हें अलग करके देखें (अ + आ, अ + इ, अ + उ आदि)।
6. विस्तृत उदाहरण‑तालिका (उपयोगी और परीक्षा‑दोस्त)
(नीचे उदाहरण अक्सर NCERT/CBSE में मिलते हैं — अभ्यास के लिए रखें।)
संयुक्त शब्द | विच्छेद (मूल पद) | संधि का प्रकार / टिप्पणी |
---|---|---|
निम्नांकित | निम्न + अंकित | दीर्घ/स्वर संधि (अ+अ → आ) |
भोजनालय | भोजन + आलय | स्वर संधि |
विद्यालय | विद्या + आलय | स्वर संधि |
कवींद्र | कवि + इंद्र | स्वर-संधि (इ + इ → ई/संयुक्त रूप) |
नमस्ते | नमः + ते | विसर्ग संधि |
निश्चल | नि: + चल | विसर्ग संधि |
निष्कपट | नि: + कपट | विसर्ग संधि (विशेष रूप) |
संकट | सम् + कट | अनुस्वार/उपसर्ग सम् |
संग्राम | सम् + ग्राम | अनुस्वार/व्यंजन संधि |
संग्रह | सम् + गृह | अनुस्वार/व्यंजन संधि |
संगीत | सम् + गीत | अनुस्वार/स्वर‑संधि |
सम्मान | सम् + मान | अनुस्वार |
पुस्तकालय | पुस्तक + आलय | स्वर संधि |
दुश्शासन | दुः + शासन | विसर्ग‑संधि (दु: + शासन) |
निराश | नि + अस् + आश? (प्रयोगानुसार) | प्रकृतिभाव/विकल्प |
(ऊपर कुछ शब्दों में व्यावहारिक हिंदी उपयोग के कारण विविध रूप स्वीकार्य हैं; परीक्षा में NCERT/CBSE के अनुरूप विच्छेद मान्य होता है।)
7. अभ्यास — लिखित (सूचि)
नीचे 30 शब्दों का संधि‑विच्छेद करें। उत्तर नीचे ‘हल’ सेक्शन में दिए गए हैं। पहले स्वयं प्रयास करें।
- निम्नांकित
- भोजनालय
- विद्यालय
- कवींद्र
- नमस्ते
- निश्चल
- निष्कपट
- संकट
- संग्राम
- संग्रह
- संगीत
- सम्मान
- पुस्तकालय
- दुश्शासन
- निराला
- सर्वज्ञ
- प्रेरणा
- समृद्धि
- उद्घाटन
- उपदेश
- उद्भव
- उद्यान
- उत्सर्जन
- प्रयोजन
- समाहरण
- सुरक्षा
- निशांत
- सर्वेश्वर
- शिक्षार्थी
- विद्यार्थी
हल देखें (Click)
- निम्न + अंकित
- भोजन + आलय
- विद्या + आलय
- कवि + इंद्र
- नमः + ते
- नि: + चल
- नि: + कपट
- सम् + कट
- सम् + ग्राम
- सम् + गृह
- सम् + गीत
- सम् + मान
- पुस्तक + आलय
- दुः + शासन
- नि + राल? (व्युत्पत्ति के आधार पर) — (निराला नाम के कई व्युत्पत्तियाँ हैं, पर प्रतियोगी सेट में अक्सर अन्य प्रश्न आएंगे)
- सर्व + ज्ञ = सर्वज्ञ
- प्रे + रणा? — (उत्पत्ति पर ध्यान दें; ‘प्रेरणा’ सामान्यत: प्रेर + णा)
- सम् + ऋद्धि = समृद्धि
- उद् + उद्घाटन = (उत्पत्ति के अनुसार) — उद् + उद्घाटन का व्यवहार देखें
- उप + देश
- उत् + भव = उद्भव
- उद् +यान = उद्यान
- उत्स +र्जन? (उत्सर्जन = उत्स +र्जन) — व्युत्पत्ति संदर्भ देखें
- प्र + योजन = प्रयोजन
- सम् + हारण = समाहरण
- सु + रक्षा = सुरक्षा
- नि: + शांत = निशांत (विकल्प)
- सर्व + ईश्वर = सर्वेश्वर (व्युत्पत्ति पर निर्भर)
- शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी
- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
8. छोटे-छोटे ‘टेप‑चार्ट’ टिप्स (याद रखने के लिए)
- विसर्ग का असर अक्सर ‘स्’ या ‘ष्’ बनाकर दिखाई देता है — नमः → नमस् (नमस्ते), नि: + चल → निश्चल
- ‘सम्’ का रूप अक्सर ‘सँ’ या ‘सं’ मिलता है — संगीत, संग्राम, संग्रह आदि।
- जब स्पष्ट न हो तो पहले शब्द का अर्थ निकालें — अर्थ सही आएगा तो विच्छेद भी सही रहेगा।