ईद उल फितर इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण और खुशी वाला त्योहार है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और प्रेम से मनाया जाता है। यह त्योहार रमजान के महीने के बाद आता है, जब मुसलमान 30 दिन रोज़े रखते हैं। रोज़ों की समाप्ति के बाद अल्लाह का शुक्र अदा करने के लिए ईद मनाई जाती है, इसलिए इसे ‘मीठी ईद’ भी कहा जाता है।
ईद पर तैयारी और नमाज
ईद वाले दिन सब लोग सुबह जल्दी उठ कर नहा धोकर नए कपड़े पहनते हैं। फिर वे ईदगाह या मस्जिद में जाकर ईद की नमाज पढ़ते हैं। नमाज से पहले सदका-ए-फित्र निकाला जाता है, जिसमें गरीबों और जरूरतमंदों को पैसे या कपड़े दिए जाते हैं ताकि वे भी इस खुशी में शामिल हो सकें।
त्योहार की खुशियाँ और पकवान
नमाज के बाद सभी लोग एक दूसरे से गले मिलते हैं और ‘ईद मुबारक’ कहते हैं। घरों में तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनते हैं जैसे सेवईं, पुलाव, दाल, मीठे चावल आदि। जब मेहमान घर आते हैं, तो उनके लिए यह सब परोसा जाता है। बच्चे ईदी पाते हैं और बहुत खुश होते हैं।
बच्चों और मेलों की मस्ती
ईदगाह के पास मेलों का आयोजन भी किया जाता है, जहाँ बच्चों के लिए झूले, खिलौने और मिठाइयों की दुकानें होती हैं। बच्चे दोस्तों के साथ जमकर मस्ती करते हैं। लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर जाते हैं और उनके साथ मिलकर यह त्योहार मनाते हैं।
भाईचारा और एकता
ईद केवल एक त्योहार नहीं बल्कि भाईचारा और एकता का प्रतीक है। जिन लोगों के बीच मनमुटाव होता है, वे भी इस दिन एक-दूसरे से गले मिलकर अपने गिले-शिकवे दूर कर लेते हैं। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि हमें गरीबों की मदद करनी चाहिए और समाज में प्रेम और सहयोग बनाए रखना चाहिए।
ईद उल फितर का त्योहार खुशियों और भाईचारे का प्रतीक है, जो सभी के जीवन में प्रेम और एकता लाता है।