
करवा चौथ 2025: व्रत की पूरी जानकारी — सर्गी, सिंधारा, पूजा-विधि, व्रत कथा, आरती, शुभ मुहूर्त और आज के शहर-वार चंद्रोदय समय।
परिचय — करवा चौथ क्या है?
करवा चौथ हिन्दू संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जो मुख्यतः उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। 2025 में करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को है। परंपरागत रीति-रिवाज, सर्गी और चंद्र-दर्शन का बड़ा महत्व है।
पूजा-विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
नीचे दी गई विधि एक सामान्य मार्गदर्शिका है — आप अपनी परम्परा के अनुसार इसे अनुकूलित कर सकती हैं।
- सबेरे — सर्गी: सुबह सूर्योदय से पहले सर्गी लें (सास/मायके द्वारा दी जाती है)। सामान्यत: फल, मेवे, मिठाई और हल्का भोजन शामिल रहता है।
- दिनभर व्रत: दिन में निर्जला रहकर देवी-देवताओं की पूजा करें और अपने घर की सफाई रखें।
- शाम — पूजा और कथा: शाम को करवा चौथ की पूजा करें। करवा (मिट्टी/बरसाती पात्र), दीपक, फुल, मिठाई और आरती सामग्री रखें। कथा सुनें और करवा माता का आशीर्वाद लें।
- चंद्र-दार्शन: जैसे ही चाँद दिखाई दे, महिलाएँ छलनी से चाँद को देखकर पति के हाथ से पानी ग्रहण कर व्रत खोलती हैं।
पूजा में प्रयुक्त वस्तुएँ
- करवा (घड़ा) — मिट्टी या धातु
- दीपक, चावल, हल्दी, सिंदूर, रंगोली/रंग
- फल, मिठाई, मेवा
- शहद/दूध (यदि परम्परा में प्रयुक्त हो)
करवा चौथ की कथा (संक्षेप)
कथा— प्राचीन काल की एक महान दृष्टांत है जो भक्ति और निष्ठा को दर्शाती है। कथा में एक व्रती पत्नी (उदाहरण: वीरावती) की सच्ची भक्ति के कारण उसके पति की रक्षा होती है। इस घटना के बाद से यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए विशेष माना गया।
कथा का सांकेतिक भाव: निष्ठा, समर्पण और परिवार के प्रति प्रेम।
सर्गी और सिंधारा — महत्व
सर्गी वह प्रसाद थाली है जो सास द्वारा पुत्रवधू को दी जाती है — यह सुबह ग्रहण की जाती है। इसमें परंपरागत रूप से फल, मेवे, परांठा/किसी हल्के व्यंजन और मिठाई शामिल होता है।
सिंधारा में सास द्वारा शादीशुदा बहू को कपड़े, आभूषण, और उपयोगी चीज़ें दी जाती हैं — यह सम्मान और प्यार का प्रतीक है।
शुभ मुहूर्त (आम मार्गदर्शिका)
नोट: सटीक मुहूर्त स्थानीय पंचांग/पंडित के अनुसार बदल सकता है—नीचे दिए समय एक सामान्य मार्गदर्शिका हैं:
- व्रत आरम्भ: सूर्योदय से पहले (स्थानीय)
- पूजा समय (अनुशंसित): शाम के समय, सांयकाल — 5:30 PM से 7:30 PM के बीच
- चाँद निकलने का समय (उदाहरण — Delhi): ~ 8:10 PM (10 Oct 2025)
करवा चौथ आरती (लघु)
जय जय करवा माता, तेरी जय जयकार।
तेरे चरणों में माथा टेकें, करें सदा सत्कार।।
(यहां आप अपनी परंपरागत आरती की पूरी पंक्तियाँ जोड़ सकते हैं या स्थानीय भजन/आरती अपलोड कर सकते हैं।)
आज चाँद निकलने का समय — 10 October 2025 (IST)
नोट: चाँद निकलने का सही समय शहर के स्थान (longitude/latitude) और मौसम के कारण कुछ मिनट अलग हो सकता है। नीचे दी गई सूची सामान्य स्थानीय समय (IST) के अनुसार है।
शहर | चाँद निकलने का समय (IST) — 10 Oct 2025 |
---|---|
दिल्ली / Greater Noida / Faridabad | 20:13 (8:13 PM) |
गुरुग्राम (Gurugram) | 20:14 (8:14 PM) |
चंडीगढ़ | 20:09 (8:09 PM) |
देहरादून | 20:05 (8:05 PM) |
जयपुर | 19:52 (7:52 PM) |
उदयपुर | 20:37 (8:37 PM) |
लखनऊ | 20:22 (8:22 PM) |
अहमदाबाद | 20:47 (8:47 PM) |
मुंबई | 20:55 (8:55 PM) |
यदि आप अपना शहर यहाँ नहीं देखते — तो बताइए, मैं आपके शहर का सटीक चंद्रोदय समय जोड़ दूँगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
क्या व्रत चाँद दिखाई देने पर ही खोलना चाहिए?
हाँ—परंपरा के अनुसार व्रत तभी खोला जाता है जब चंद्र-दार्शन होता है और पूजा/आरती पूरी हो।
क्या सर्गी अनिवार्य है?
सर्गी पारंपरिक आशीर्वाद है; यदि उपलब्ध न हो तो अपने परिवार की रीति अनुसार नाश्ता लें।
करवा चौथ की शुभकामनाएँ — (Wishes & Messages)
नीचे आप कुछ शॉर्ट और लॉन्ग संदेश पायेंगे जिन्हें आप सोशल मीडिया पर शेयर कर सकती हैं या कार्ड पर लिख सकती हैं।
अगर आप चाहें तो मैं इन्हें Hindi image cards (1080×1080) या printable PDF मेकअप कर दूँ — बताइए कौन सा फॉर्मेट चाहिए।
अंतिम सुझाव और सलाह
- व्रत का मुख्य उद्देश्य भक्ति और श्रद्धा है — तिथियों/मुहूर्त के लिए स्थानीय पंचांग देखें।
- यदि किसी कारणवश चाँद दिखाई न दे, तो पारंपरिक रीति-नियम और पंडित की सलाह अनुसार व्रत खोलें।
- स्वास्थ्य कारणों से यदि व्रत रखना संभव न हो तो वैकल्पिक पूजा-अर्चना कर लें।