200 हिंदी लोकोक्तियाँ — अर्थ और उदाहरण
पूरा संग्रह: संक्षिप्त अर्थ और रोज़मर्रा के वाक्य-उदाहरण के साथ — कक्षा, प्रतियोगिता और ब्लॉग के लिए उपयुक्त।
परिचय
हैलो दोस्तों नमस्कार आज मैं आपके लिए top 200 लोकोक्तियाँ लेकर आया हूँ
जैसे की हम यह जानते हैं की यह लोकोक्तिें (Lokoktiyaan) जीवन के अनुभवों का सार हैं — संक्षेप में शिक्षा, नीति और व्यावहारिक सच्चाई व्यक्त करती हैं। नीचे 200 प्रचलित लोकोक्तियाँ दी गई हैं।
जो निम्न लिखित हैं-
200 लोकोक्तियाँ — तालिका
# | लोकोक्ति | अर्थ | उदाहरण |
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1 | जैसी करनी वैसी भरनी | जो जैसा कर्म करेगा, वैसा फल मिलेगा | यदि तुम दूसरों की सहायता करोगे तो दूसरों से मदद पाओगे। |
2 | नाच न जाने आँगन टेढ़ा | अपनी कमी छिपाने के लिए बहाने बनाना | वो पढ़ने में कमजोर है और किताबें दोषी ठहराता है — नाच न जाने आँगन टेढ़ा। |
3 | दूर के ढोल सुहावने | दूसरी चीज बेहतर लगती है | परदेस में ज़िन्दगी आसान लगती है पर हकीकत अलग होती है। |
4 | घर की मुर्गी दाल बराबर | अपनों की चीज़ का महत्व नहीं समझना | उसने अपने गाँव के त्योहार को महत्व नहीं दिया — घर की मुर्गी दाल बराबर। |
5 | बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद | जो चीज़ उसकी समझ से बाहर, वह उसकी कद्र नहीं करता | कला की कद्र ना करने वाला कलाकारों की आलोचना कर रहा था। |
6 | ऊँट के मुँह में जीरा | बहुत कम, जो आवश्यकता के लिए पर्याप्त न हो | किसी बड़े काम के लिए ये छोटा इनाम ऊँट के मुँह में जीरा है। |
7 | निकल्ली तो बाजीगरी दिखती है | जो असल में है वही काम दिखता है (idiom) | वह काम में कुशल नहीं पर दिखावा करता है। |
8 | आवश्यकता आविष्कार की जननी है | ज़रूरत से नए विचार और चीज़ें पैदा होती हैं | समस्या ने ही नया समाधान खोजने पर मजबूर किया। |
9 | धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय | धैर्य से काम करने पर सब कुछ होता है | पढ़ाई में नियमितता से सफलता मिलती है — धीरे-धीरे रे मना। |
10 | जो गरजते हैं वे बरसते नहीं | जो अधिक शोर करते हैं, अक्सर कम करते हैं | वह लगातार दहाड़ता रहा पर काम नहीं किया। |
11 | साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे | दोनों उद्देश्य साथ पूरे हो जाएँ | समझदारी से काम करो ताकि दोनों फायदे मिलें। |
12 | अंधेर नगरी चौपट राजा | व्यवस्था का पूरा बिगड़ना | कार्यालय में कोई नियम नहीं, अंधेर नगरी चौपट राजा। |
13 | एक तीर से दो शिकार | एक काम से दो लाभ प्राप्त करना | एक बार योजना बनाकर दो काम निपटा दिए। |
14 | ऊँची दुकान फीका पकवान | दिखावे में अच्छा पर असल में घटिया | छोटी सी कंपनी ने बड़ी बड़ा विज्ञापन किया पर सेवा खराब थी। |
15 | सूरज निकले और मिटे अँधेरा | सच सामने आने से भ्रम मिट जाता है | सत्य सामने आया तो गलतफहमी दूर हुई। |
16 | अधजल गगरी छलकत जाए | अधूरा ज्ञान दिखाने पर कमज़ोर परिणाम | आधा-आधूरा अध्ययन करके परीक्षा में फेल हो गया। |
17 | बोया पेड़ बबूल का, तो आम कहाँ से होए | परिणाम उसके उपयुक्त कार्य पर निर्भर करता है | बेमकसद प्रयासों से अच्छा परिणाम नहीं मिलेगा। |
18 | सांप छछूंदर के दोस्त नहीं होते | प्रकृति के विपरीत मित्रता मुश्किल | दोषियों से दोस्ती जोखिम भरी हो सकती है। |
19 | आग लगे पर राख न हो | अत्यधिक चोट के बिना हालात ठीक रहें | संगठन में झगड़ा हुआ पर सब ठीक हो गया। |
20 | जैसी माता वैसी बादा | परवरिश का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है | उसकी आदतें मां की तरह हैं। |
21 | अंधा बाँटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को दे | अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण वितरण | आज़माने पर वह हमेशा अपने परवान है। |
22 | घर का भेदी लंका ढाए | घर के भीतर का भेद उजागर करने से बड़ा नुकसान | किसी से अंदर की बात लीक हुई और सबको पता चला। |
23 | अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता | अकेले काम से बड़ा प्रभाव नहीं होता | टीमवर्क से ही प्रोजेक्ट सफल हुआ। |
24 | किस्मत का लिखा कोई नहीं मिटा सकता | कुछ चीजें भाग्य पर निर्भर होती हैं | कठिन हालात में हिम्मत रखने पर भी सफलता नसीब की बात है। |
25 | ऊँट के बल पे खड़े होना | किसी की कमजोरी पर भरोसा करना | उसके झूठ से भरोसा कमजोर हो गया। |
26 | दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है | एक बार चोट लगने पर भय बना रहता है | पहले धोखा मिला इसलिए अब बहुत सतर्क रहता हूँ। |
27 | सूरज के सामने सांप फूंक नहीं मारता | साफ-साफ सामने रहते हुए कोई डरने या छिपने की बात नहीं होती | वह सबके सामने अपनी बात रखता है, डरता नहीं। |
28 | जिसकी लathi उसकी भैंस | शक्ति वाले का शासन | गाँव में जो मजबूत है वही नियम बनाता है। |
29 | ढाई आखर प्यार का, और पढ़े सो पंडित | प्यार व भावनाओं को शब्दों में बयां करना आसान नहीं | उसने सच्चा प्रेम व्यक्त करने की कोशिश में गहरे शब्द बोले। |
30 | ऊँचे-ऊँचे पेड़ों पर पत्ते कमन | जो ऊपर होते हैं, उनकी पहचान कम होती है | वह शांति से काम करता है पर नाम कम बनता है। |
31 | काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती | एक जैसी चीज बार-बार न हो पाना | वो नौकरी हर बार नहीं मिलती — अवसर पे पकड़ो। |
32 | नैक पकड़े तो नवा निमा | सही काम करने वालों का सम्मान होता है | उसने ईमानदारी दिखाई तो पदोन्नति मिली। |
33 | नदी में वही आता है जो नदी लाती है | परिस्थितियों के अनुसार परिणाम आते हैं | किसानी साल के मौसम पर निर्भर करती है। |
34 | दूध-ध्याना दो बातें | दो अलग-अलग बातें एक साथ नहीं हो सकती | एक ही समय में पढ़ाई और पूरा खेल नहीं हो सकता। |
35 | हाथ कंगन को आरसी क्या | जिसे सही चीज मिल जाए उसे प्रमाण की ज़रूरत नहीं | अच्छा रिज़ल्ट आया तो और सबूत की जरूरत नहीं। |
36 | अकल बड़ी या भैस? | बेवकूफ कौन, बुद्धि किसके पास? | किसी की मूर्खता पर सवाल उठाना। |
37 | कानून के हाथ लंबे हैं | कानून अंततः लागू होता है | आप चाहे कुछ भी करें, अन्त में कानून करेगा। |
38 | पानी पानी होना | पूरी तरह उजागर होना/बर्बाद होना | उसकी योजनाएँ पक गईं और सब बेकार हो गया। |
39 | सब्र का फल मीठा होता है | धैर्य का अच्छा परिणाम आता है | लंबे समय की मेहनत के बाद सफलता मिली। |
40 | खेद में धोखा नहीं होता | ईमानदारी से किया गया काम बेकार नहीं जाता | सच्चाई बताने पर सम्मान मिला। |
41 | आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पाए | लालच से सब कुछ खो देना | ज्यादा दांव लगाने से सब पैसा खो दिया। |
42 | निकलते चलते कुछ लोग पीछे छूट जाते हैं | प्रगति में कई लोग पीछे रह जाते हैं | जो मेहनती नहीं वे पीछे छूट जाते हैं। |
43 | काम का पक्का, नाम का पता | कठिन काम करने से सम्मान मिलता है | उसकी मेहनत से उसे पहचान मिली। |
44 | अक्ल बड़ा तो क्या हुआ, दिल बड़ा होना चाहिए | बुद्धि के साथ सहानुभूति भी जरुरी | सिर्फ बुद्धिमान होना ही पर्याप्त नहीं, मृदुता भी चाहिए। |
45 | समय बड़ा बलवान | समय में बहुत शक्ति होती है | वक्त के साथ सब बदल जाता है। |
46 | पेड़ वही फल देता है जो उसे रोपा गया | जैसा व्यक्ति बनता है, उसकी शुरुआत पर निर्भर करता है | अच्छी परवरिश से ही अच्छा फल मिलता है। |
47 | हाथ कंगन को आरसी क्या | (पुनरावृत्ति) जो साफ दिखे उसे प्रमाण की जरुरत नहीं | उसकी योग्यता स्पष्ट थी। |
48 | खुदा के घर देर है अंधेर नहीं | ईश्वर के घर देर होती है पर न्याय होता है | अंत में सही का विजय हुआ। |
49 | अंधा क्या चाहता है? एक चश्मा | हर कोई वस्तु अपनी आवश्यकता के अनुसार चाहता है | जिसे जरूरत हो वही मांगता है। |
50 | जितना रखो उतना दिखता है | यथार्थ परिधानों पर निर्भरता | आसान जीवन में ही असली मूल्य नजर आता है। |
51 | चोर की दाढ़ी में तिनका | गुनाह करने वाला ही गवाही दे देता है | उसकी हरकतों से शक बढ़ गया। |
52 | अंधे के हाथ बटेर लगना | अन्याय से अप्रत्याशित लाभ मिलना | वह भाग्य से जीत गया, जैसे अंधे के हाथ बटेर लगना। |
53 | बूँद-बूँद से घट बनता है | छोटी-छोटी कोशिशें बड़ा परिणाम बनाती हैं | नियमित बचत से संपत्ति बनती है। |
54 | घर और गली में क्या कहा जाए | परिवारिक संबंधों में व्यवहार का ध्यान रखें | घर में शांति बनाए रखने के लिए शब्दों का ध्यान रखें। |
55 | सिर मुंडाते ही ओले पड़ना | अच्छा करने पर अचानक विपरीत स्थिति आना | नयी नौकरी मिलते ही संकट आ गया। |
56 | कठिनाई में ही आदमी की परीक्षा होती है | संकट में सच की पहचान होती है | मुश्किल समय में उसके साथी कम दिखाई दिए। |
57 | ऊपर से सुनहरा पर अंदर से खोखा | दिखावे में अच्छा पर अंदर से घटिया | उसकी दुकान खूब चमकती पर सामान खराब। |
58 | नाक में दम करना | किसी को परेशान करना | मेहनत करते हुए हर कोई नाखुश रहता था। |
59 | राम का नाम जपे बिना क्या सुख? | आत्मिक शांति धर्म-नाम से जुड़ी है | धर्माचरण से मन को शांति मिलती है। |
60 | नौ महीने का साथ और चोरी की रात दो | एक छोटा साथ बड़ा प्रभाव छोड़ देता है | लघु सहयोग से बड़ा परिणाम आता है। |
61 | नदी के दोनों किनारे पर घास नहीं उगती | सब जगह अवसर समान नहीं होते | एक ही शहर में सबको समान मौके नहीं मिलते। |
62 | रात के धागे दोबारा नहीं जुड़ते | खोई हुई चीज़ें वापस नहीं आती | जो समय निकल गया वो लौट कर नहीं आना। |
63 | सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे | (पुनरावृत्ति) दोनों उद्देश्य पूरा हो जाए | रिस्क के बिना फायदेमंद नतीजा मिलने की इच्छा। |
64 | मुँह में राम बगल में छुरी | बातों में मीठा पर छुपा हुआ दुर्व्यवहार | वह मुस्कुराता पर पीछे से धोखा देता था। |
65 | कब तक राज करेगा, वही राजा नहीं रहना | कोई भी स्थायी नहीं है | कठोर शासक भी समय के साथ गिर गया। |
66 | दरिया का पानी वापस नहीं जाता | किए हुए काम लौट कर नहीं आते | वक्त की क्षति वापस नहीं आती। |
67 | आग पर घी डालना | स्थिति और बिगाड़ना | विवाद में और तकरार पैदा कर दी। |
68 | उंगलियों पर गिना जा सकता है | बहुत कम संख्या में होना | उसके पास केवल उंगलियों पर गिना जा सके客户। |
69 | बूँदें समन्दर बन जाती हैं | छोटी कोशिशें बड़ी बन जाती हैं | रोज़ की मेहनत से बड़ा बदलाव आया। |
70 | कम बोलो, अच्छा सुनो | कम बोलने से अधिक ज्ञान प्राप्त होता है | वह सुनकर ही निर्णय लेता है, पहले नहीं बोलता। |
71 | हाथ कंगन को आरसी क्या | (तीसरी बार) जो स्पष्ट हो उसे प्रमाण की जरुरत नहीं | उसकी योग्यता पर किसी को शक नहीं था। |
72 | सिर मुंडवाने से स्वर नहीं बदलता | बाहरी परिवर्तन से स्वभाव नहीं बदलता | सुनहरा पहन के भी उसकी आदत नहीं बदली। |
73 | ऊँचाई से गिरना दर्दनाक होता है | ऊँचे पद से गिरना और अधिक कष्टदायक | वह पद से हटने पर अधिक शर्मिंदा हुआ। |
74 | छोटी-छोटी बातों में बड़ा फर्क पड़ता है | छोटी चीजों का भी महत्व होता है | आदतों में सुधार से बड़ा बदलाव हुआ। |
75 | खेत की मेँहदी कटे तो गमला खाली | अपर्याप्त संसाधन से उत्पादन कम होता है | बिना उचित संसाधन के प्रोजेक्ट फेल हुआ। |
76 | नदियों का पानी एक स्थान पर नहीं ठहरता | परिवर्तन प्रकृति का नियम है | समय के साथ सब बदल जाता है। |
77 | अधूरा दीपक रोशन न करे | अधूरा प्रयास पूरा परिणाम नहीं दे सकता | आधा अध्ययन करके बेहतर परिणाम नहीं मिलते। |
78 | मुश्किले आये, पर हिम्मत न छोड़ी | कठिनाइयों में भी धैर्य नहीं खोना | उसने सब मुश्किलों के बाद भी मेहनत जारी रखी। |
79 | किसी का दिल जानना जरूरी है | वास्तविक इरादों को समझना जरूरी | सिर्फ बाहरी व्यवहार से निर्णय नहीं लेना चाहिए। |
80 | घड़ी की सूई रुकती नहीं | समय चलता रहता है | समय का सदुपयोग करें, क्योंकि वह रुकता नहीं। |
81 | बोलो तो कान लगाकर सुनो | ध्यान से सुनना चाहिए | उसकी बातों से सीखने के लिए ध्यान देकर सुना। |
82 | मुँह की बात दिल में नहीं रखो | बोलने से पहले सोचो | बिना सोचे बोलने से विवाद बढ़ा। |
83 | लाठियाँ तभी चलती हैं जब कुत्ते भौंकते हैं | शोर करने वालों को दबाने की प्रवृत्ति | उनके विरोध पर अधिक मजबूत कार्रवाई हुई। |
84 | दूर के रिश्ते में निकटता कम होती है | दूरी से रिश्ता फीका पड़ता है | दूर रहने पर रिश्तों में दूरी आ गई। |
85 | वक्त बड़ा बलवान | (पुनरावृत्ति) समय की शक्ति अपरंपार | समय ने सबकुछ बदल दिया। |
86 | दोनों हाथों से ताली बजती है | सहयोग से ही कार्य पूरा होता है | टीमवर्क से ही प्रोजेक्ट सफल हुआ। |
87 | बना-बनाया बिगाड़ना | जो पहले से अच्छा है उसे खराब करना | बिना सोच-विचार में बदलाव कर दिया और सब बिगाड़ दिया। |
88 | सिंघासन खाली करना आसान है, लेना मुश्किल | शक्ति खोना आसान, हासिल करना कठिन | बड़ा पद पाने में कठिनाई आई पर खोना आसान था। |
89 | किसी की चाल समझो | व्यक्ति के इरादों का अनुमान लगाना | उसकी बातों से चाल समझी और सावधानी बरती। |
90 | रात गई बात गई | पुरानी बातें भूल जाओ | पुरानी झगड़ों को छोड़कर आगे बढ़ो। |
91 | जंगल का राजा शेर ही होता है | प्राकृतिक रूप से श्रेष्ठता किसी में होती है | उसके कौशल से वह क्षेत्र में सबसे आगे है। |
92 | खेत में बैल का काम नहीं हो तो किसान हारा | मूल संसाधन न हों तो काम नहीं चलेगा | मशीनें टूटने पर उत्पादन रुक गया। |
93 | बोया पेड़ उगा तो छाँव मिली | कठोर परिश्रम से सुख मिलता है | दरख्त लगाकर आज परिवार को लाभ हो रहा है। |
94 | जिन्हें नहीं चाहिए, वही सस्ते पड़ते हैं | आवश्यकता न होने पर चीज़ें बेकार लगती हैं | उपहार जिसे पसंद न आया वो छोड़ दिया। |
95 | कहने से पहले सोचना | बिना सोच-बिचार बोलने से बचना चाहिए | बिना सोचे टिप्पणी करने पर पछताना पड़ा। |
96 | पानी में रहकर मगरमच्छ से न डरना चाहिए | जो माहौल है उसके अनुसार सावधान रहना चाहिए | कठोर माहौल में कार्य करते समय सतर्क रहिए। |
97 | सुबह का भूत शाम तक डरता है | जो जल्दी डरता है वह दिन में कष्ट झेलता है | छोटी-छोटी बात पर चिंता करने से दिन खराब हो जाता है। |
98 | सिर पर चढ़कर बात करना | दबदबा दिखाकर लोगों को रोकना | वह सीनियर हमेशा लोगों पर दवाब बनाता है। |
99 | दूर का सोचो, पास का करो | दूर की योजना बनाओ पर तुरंत कार्य अभी करो | भविष्य योजना बनाओ पर आज के काम भी न छोड़ो। |
100 | कागज़ पर सब कुछ सुंदर दिखता है | योजना और व्यवहार में फर्क होता है | परियोजना का कागजी रूप अच्छा था पर अमल में नहीं चला। |
101 | हाथ रुई जैसा नरम न हो | कठोर परिश्रम की जरूरत | मुलायम स्वभाव से काम नहीं चल पाएगा। |
102 | नमक के दाम पूछना | छोटी बात पूछना | उसने छोटी-छोटी बातों पर प्रश्न उठाए। |
103 | घर की लाज रखना | पारिवारिक प्रतिष्ठा का ध्यान रखना | उसने परिवार की इज्जत बचाने के लिए चुप्पी रखी। |
104 | जो गरज़ते हैं वे बरसते नहीं | (पुनरावृत्ति) शोर करने वाले कम करते हैं | वह बस शोर मचाता रहा पर काम नहीं किया। |
105 | कमान से निकला तीर वापस नहीं आता | एक बार किया कार्य वापस नहीं लिया जा सकता | गलत शब्द कह दिए तो उन्हें वापस नहीं ले सकते। |
106 | किसी को उपदेश न देना जब तक खुद ठीक न हो | सबको पहले स्वयं सुधारना चाहिए | पहले अपनी आदतें सुधारो फिर दूसरों को सिखाओ। |
107 | जहाँ चाह वहाँ राह | इच्छा होने पर मार्ग मिल ही जाता है | उसने ठान ली तो रास्ता निकल आया। |
108 | पानी में उबले अंडे फूटते नहीं | डरभीतः चीजें बदतर नहीं होतीं | पहली असफलता के बाद भी प्रयास जारी रखा। |
109 | आम के आम गुठलियों के दाम | एक साथ दो लाभ उठाना | एक निवेश से दो फायदे मिल गए। |
110 | बूँदें बचाकर समुद्र बनता है | (पुनरावृत्ति) छोटी बचत से बड़ा धन बनता है | मासिक बचत से संपत्ति बनी। |
111 | दो मुंह की बात नहीं चलती | झूठ बोलकर काम नहीं चलेगा | वह झूठ बोलकर पकड़ा गया। |
112 | आँख का आँसू पोंछ लेना | दुःख मिटाना | उसने बच्चे के रोने पर उसे शांत किया। |
113 | जा भिखारी बन जा | किसी से अपेक्षा न रखना | उसने अपना काम खुद संभाल लिया बजाय किसी पर निर्भर रहने के। |
114 | दिन में तारे नजर नहीं आते | जो स्पष्ट है उसे खोलकर देखने की जरुरत नहीं | उनकी सफलता इतनी स्पष्ट थी कि कोई संदेह नहीं बचा। |
115 | जिसे भगवान देता है वही अच्छा होता है | भाग्य से बेहतर मिले तो उसे स्वीकार करो | उसको अनपढ़ी सी नौकरी मिली पर भाग्य अच्छा था। |
116 | मेहनत का फल मिलता है | कड़ी मेहनत का परिणाम मिलता है | लगातार अभ्यास से परीक्षा पास हुई। |
117 | तथास्तु कह कर काम न निकलेगा | केवल अनुमति से काम नहीं चलेगा — कार्य भी चाहिए | सिर्फ अनुमति मिलने से प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ। |
118 | साँप को मारना, मगर उसकी त्वचा बचाना | दुश्मन को परास्त कर भी उसकी पहचान बचाना | प्रतिद्वंद्वी को हरा कर भी उसे अपमानित नहीं किया गया। |
119 | सुई की नोक से पहाड़ नहीं काटा जा सकता | अत्यंत छोटी चीज़ से बड़ा काम नहीं होता | छोटी तकनीकी से बड़े विनाश नहीं किए जा सकते। |
120 | हाथों की लकीरें बदलती हैं | व्यक्ति का भाग्य बदल सकता है | कड़ी मेहनत से उसका भाग्य बदल गया। |
121 | नाक कटना | अपमानित होना | उसकी गलती पर उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। |
122 | ऊँचे पेड़ की छाया लंबी होती है | मुकाम होने पर प्रभाव भी लंबा होता है | उस कंपनी की लोकप्रियता का दायरा बड़ा है। |
123 | सोने पे सुहागा | अच्छे में और बढ़ोत्तरी | नयी सफलता पर अतिरिक्त पुरस्कार मिला। |
124 | खेत की मेघा नहीं लाती | बिना प्रयास के सफलता नहीं मिलती | सिर्फ उम्मीद पर काम नहीं चलता, मेहनत भी चाहिए। |
125 | अक्ल बड़ी या भैस? | (पुनरावृत्ति) बुद्धि और शक्ति तुलना | क्या बुद्धि से काम लेना चाहिए या बल से? निर्णय सोच-विचार से लो। |
126 | नानी याद आती है, दादी याद आती है | बीते अच्छे दिनों की याद | पुरानी यादों ने उसे भावुक कर दिया। |
127 | हाथ खाली पर दिल भरा | भले वस्तु न हो पर भावना समृद्ध हो | वह तो दे तो नहीं सका पर उसका प्रेम सच्चा था। |
128 | दूसरों के दर्द को समझो | सहानुभूति आवश्यक | वह हमेशा दूसरों की मदद करने को तैयार रहता है। |
129 | दूध और पानी नहीं मिलता | वास्तविकता और दिखावा अलग होते हैं | वह बातों में मीठा था पर असल में ठंडा। |
130 | दुनिया गोल है | इंसान के कर्म लौटकर आते हैं | जो किया, वापस वही मिला — दुनिया गोल है। |
131 | खेत में कोई चारा नहीं | स्रोत खत्म होना | संसाधनों की कमी के कारण काम रुका। |
132 | सूर्य के सामने छाया नहीं | सच को छुपाया नहीं जा सकता | सत्य उजागर हो गया और झूठ पकड़ लिया गया। |
133 | ऊँची सोच, गहरी नींव | बड़े लक्ष्यों के लिये ठोस आधार ज़रूरी | बिना मजबूत विषय के बिजनेस नहीं टिकता। |
134 | खेत पर पानी दो, फल मिलेगा | परिश्रम का परिणाम निश्चित | नियमित प्रयास से अंततः फायदा हुआ। |
135 | मुँह में राम, बगल में छुरी | (पुनरावृत्ति) बातों में मीठा पर इरादे निष्ठुर | उसने मुस्कुरा कर धोखा दिया। |
136 | कसता तो पत्थर भी कटे | लगन से कठिन काम भी संभव हैं | लगन से उसने पढाई में कमाल दिखाया। |
137 | दाल में कुछ काला है | कुछ शकास्पद है | उसकी बातों में असमान्य तथ्य थे, दाल में कुछ काला है। |
138 | सांसों पर खेलना | बहुत जोखिम भरा काम | जिंदगी जोखिम पर लगाने जैसा काम था। |
139 | जान से प्यारा कोई नहीं | जान सबसे मोल वाली चीज़ है | सुरक्षा सबसे पहले रखो क्योंकि जीवन अमूल्य है। |
140 | बड़प्पन बांटना सीखो | विनम्रता और उदारता दिखाना चाहिए | उसने जीत कर भी हार की विनम्रता दिखाई। |
141 | कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा | जब चीजें मिलकर असंगत हों | मिली-जुली टीम से काम नहीं चला। |
142 | पानी पीकर प्यासा रहना | मिलकर भी असंतुष्ट रहना | अनेक सुविधावों के बावजूद वह संतुष्ट नहीं था। |
143 | विचार करो फिर बोलो | बिना सोचके बोलना अनुचित | उसने बिना सोचे टिप्पणी कर दी और परेशान हो गया। |
144 | तलवार की धार पर पैर रखना | खतरनाक स्थिति में रहना | जो काम खतरनाक है उस पर ध्यान से रहिये। |
145 | भैंस के आँसू से दूध नहीं आता | दिखावे से असली लाभ नहीं होता | यूपी में दिखावा करके काम नहीं चलेगा। |
146 | ऊँचाई पर चढ़ना मुश्किल | उच्च उपलब्धि हासिल करना कठिन | बडा लक्ष्य पाने के लिये कठिन मेहनत चाहिए। |
147 | जैसा बोओगे वैसा काटोगे | (पुनरावृत्ति) कर्म के अनुसार फल | अच्छा व्यवहार करने से अच्छा फल मिला। |
148 | किसी के सर पर सोना नहीं चाहिए | किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए | स्वावलंबी बनो, किसी पर टिका मत रहो। |
149 | घर का काम पहले करो | पहले अपनी जिम्मेदारियाँ निभाओ | दूसरों की मदद से पहले अपने काम पूरे करो। |
150 | रोटी, कपड़ा, मकान | जीवन की मूल आवश्यकता | सबसे पहले मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करो। |
151 | कहीं का राजा, कहीं का सेवक | एक साथ विरोधी भूमिका निभाना | उसने अलग-अलग जगहों पर अलग भूमिका निभाई। |
152 | खुशियों की गठरी बाँधना | सौभाग्य से भरा जीवन पाना | उसके जीवन में बहुत खुशियाँ जुड़ीं। |
153 | खेत में सोना नहीं उगता | वहां असम्भव चीज़ की उम्मीद न हो | भूमि पर सोने की उम्मीद रखना मूर्खता है। |
154 | कांच की नदी में पाँव रखना | झूठी चीज़ पर विश्वास करना खतरनाक | किसी के वादों पर अंधविश्वास करना नुकसानदेह। |
155 | दोनों तरफा चौका | दोनों पक्षों में संतुलन | समझौते से दोनों ही पक्ष खुश हुए। |
156 | हमेशा जीत किसे मिलती है? | कठिन परिश्रम से ही जीत संभव | निरन्तर प्रयासों में ही सफलता मिलती है। |
157 | कबूतर को दाना दो | छोटी-छोटी चीजों से संतुष्टि | छोटी उपलब्धियों का भी महत्व होता है। |
158 | खेत जो बोया वही कटेगा | (पुनरावृत्ति) कर्म का फल | मेहनत का ही फलों मिलता है। |
159 | रात की रानी सुबह महके | कठिनाइयों के बाद सुख आता है | कठिन समय के बाद सब बेहतर हुआ। |
160 | अक्लमंद की चाल चलो | समझदारी से कदम उठाओ | योजना बनाकर काम किया और सफल हुआ। |
161 | कुत्ता भौंके पर बाज चलता रहे | आलोचना के बावजूद काम करते रहो | आलोचना के बावजूद अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया। |
162 | सुई-धागा और दरार-रंग | छोटी चीज़ें जोड़कर बड़ा काम बनता | छोटी-छोटी बचत से घर बना लिया। |
163 | किसी को नाई न चाहिए पर वस्त्र चाहिए | बाहरी दिखावे पर ध्यान देना | लोग दिखावे पर ज़्यादा ध्यान देते हैं बजाय गुण के। |
164 | लोहा लोहे को काटता है | मुष्किल परिस्थितियों के बीच प्रदर्शित कड़ा व्यवहार | कठोर प्रशिक्षण से दिमाग मजबूत हुआ। |
165 | घोड़े के मुंह में अलंकार नहीं | जो चीज़ अनुकूल नहीं, उसे दिखावा न दो | बावजूद अच्छे कपड़ों के, उसे समझने वाला नहीं मिला। |
166 | बंदर बांट-ढोल नहीं बजाता | जो कला न जाने वह उसका प्रदर्शन नहीं करता | उसने गंभीर काम का मजाक उड़ाया और परिणामक असफल रहा। |
167 | दिखावे से नहीं, काम से मान मिलता है | कर्म से प्रतिष्ठा मिलती है, दिखावे से नहीं | वह दिखावा छोड़कर काम में जुट गया और मान मिला। |
168 | नमक का मोलाजोल | छोटी चीज़ों का मूल्यांकन करना | छोटे सहयोगों को भी महत्व दो। |
169 | दोस्त वही जो विपत्ति में साथ दे | सच्चा मित्र संकट में साथ देता है | मर्यादा से crisis में वही साथ निभाया। |
170 | कमाल दिखाकर भी काम पूरा नहीं होता | दिखावे से कार्य सिद्ध नहीं होते | प्रस्तुति अच्छी थी पर परिणाम नहीं आया। |
171 | गिरकर ही आदमी संभलता है | गलतियों से सीख मिलती है | फेल होने के बाद उसने रणनीति बदली और सफल हुआ। |
172 | भोजन के बिना दिमाग सुस्त | भोजन से ऊर्जा मिलती है | भूखे पढ़ने से ध्यान नहीं रहता। |
173 | सपने देखो पर मेहनत भी करो | आकांक्षा के साथ कर्म भी महत्वपूर्ण | उसने बड़े सपने देखे और रोज मेहनत की। |
174 | समय के साथ सम्हलना चाहिए | परिवर्तन के अनुरूप खुद को ढालो | नयी तकनीकें सीखकर उसने खुद को अप-टूडेट रखा। |
175 | बचपन की शिक्षा जीवन भर काम आती है | पहली शिक्षा का प्रभाव जीवन भर रहता है | विद्यालय की सीख आज भी काम आती है। |
176 | हाथ जो दे उसे लेना नहीं चाहिए | उपहार को स्वीकार करने में सावधानी | उपहार लेने से पहले मंशा देखनी चाहिए। |
177 | अकेले की कोशिश सीमित रहती है | टीमवर्क अधिक प्रभावी है | टीम में मिलकर काम करके लक्ष्य हासिल हुआ। |
178 | काल करे सो आज कर | जो आज हो सकता है उसे टालना नहीं चाहिए | काम को टालने से संकट बढ़ा, इसलिए आज निपटाया। |
179 | जैसा राजा वैसा प्रजा | नेतृत्व का प्रभाव जनता पर | अच्छे नेतृत्व से समाज में सुधार आए। |
180 | बेपानी से काम नहीं चलते | बिना नीति के कार्य सफल नहीं होते | बिना योजना के प्रोजेक्ट रुका रहा। |
181 | सच्ची मित्रता सोने जैसी कीमती | सच्चे दोस्त अनमोल होते हैं | उसने कठिन समय में सच्चा मित्र पाया। |
182 | कभी-कभी शांत रहना बुद्धिमानी है | शांति कई बार हितकर होती है | विवाद में चुप्पी ही बेहतर रही। |
183 | जो बीत गई सो बात गई | पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ो | पुरानी गलतियों को भुलाकर नई शुरुआत की। |
184 | नाव में छेद हो तो पानी अंदर आता है | छोटी समस्याएं बड़ी बन सकती हैं यदि न रोका जाए | छोटी गलतियों पर ध्यान न दिया गया और बड़ी समस्या बन गई। |
185 | सत्य कठोर पर विजयशाली | अंतर में सत्य की जीत होती है | सच सामने आया और गलत पकड़े गए। |
186 | घाघरा तैयार करो, पर नाचने की बात मत करो | पहले तैयारी करो फिर दिखावा | पहले अभ्यास कर लो, तभी प्रस्तुतिकरण करो। |
187 | ऊटपटांग बातों से फायदہ नहीं | बेतुकी बातों से लाभ नहीं होता | फालतू बहस से समय व्यर्थ होता है। |
188 | ताकत वही जो मन के अंदर | आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति महत्वपूर्ण है | मन की शक्ति से उसने कठिनाई पार की। |
189 | जिसका मन मजबूत, उसका भाग्य मजबूत | मन की स्थिति भाग्य को प्रभावित करती है | आत्मविश्वास से अवसरों का सामना किया। |
190 | छोटी-छोटी खुशियाँ बड़ी खुशियों का आधार | छोटी खुशियाँ जीवन को समृद्ध बनाती हैं | छोटी उपलब्धियों का जश्न मनाना चाहिए। |
191 | सुन लो पर अंधविश्वास नहीं | सुनना अच्छा है पर बिना प्रमाण के न मानो | अफवाह पर विश्वास न करके साक्ष्य खोजो। |
192 | काटों से डर कर फूल मत छोड़ा करो | कठिनाइयों से डरकर अवसर हाथ से मत जाने दो | डर कर अवसर न खोया, साहस दिखाया तो सफलता मिली। |
193 | जहाँ चाह वहाँ राह | (पुनरावृत्ति) इच्छा से मार्ग निकलता है | मन किया तो योजना बनाकर राह निकाली। |
194 | बातों से नहीं, काम से आदर मिलता है | (पुनरावृत्ति) कर्म से सम्मान मिलता है | काम करके समाज में प्रतिष्ठा बनाई। |
195 | किसी के बीच में दाल नहीं गलती | बिचौलियों से बात बिगड़ सकती है | मध्यस्थी से विवाद बढ़ा, सीधे बात करो। |
196 | रात-दिन की मेहनत रंग लाती है | लगन से किए गए प्रयास सफल होते हैं | उसने मेहनत से अपना लक्ष्य पाया। |
197 | जो बोया वही काटा | (पुनरावृत्ति) कर्म का फल | उसका गलत काम उसे ही परेशान कर गया। |
198 | चलो तो साथ चलें, नहीं तो रास्ता अलग | समझौता या अलग राह लेना | समझौता न हुआ तो अलग मार्ग अपनाया। |
199 | समय बड़ा अद्भुत शिक्षक | (पुनरावृत्ति) समय से सीख मिलती है | समय के साथ सबक सीखकर सुधर गया। |
200 | अच्छा काम बोलता है | अच्छे कार्य की प्रशंसा स्वयं होती है | उसके ईमानदार कामों की सराहना खुद-ब-खुद हुई। |
अभ्यास प्रश्न (20)
- “जैसी कर्मनी वैसी भरनी” का अर्थ लिखिए।
- किस लोकोक्ति का प्रयोग करेगा: “अगर तुम मेहनत नहीं करोगे तो फल नहीं मिलेगा”?
- निम्न लोकोक्ति के प्रयोग के उदाहरण लिखिए: “बूँद-बूँद से घट बनता है”।
- “नाच न जाने आँगन टेढ़ा” का हिंदी में सरल अर्थ लिखिए।
- लोकोक्ति चुनें जो दिखावे और वास्तविकता के अंतर को दर्शाती हो।
- “दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है” का प्रयोग कहां होगा?
- “अंधेर नगरी चौपट राजा” का तात्पर्य बताइए।
- “आवश्कता आविष्कार की जननी है” का आधुनिक उदाहरण दीजिए।
- “किस्मत का लिखा कोई नहीं मिटा सकता” — इस पर आपका विचार लिखिए।
- कोई 5 लोकोक्तियाँ लिखिए जो मेहनत का महत्त्व बताती हों।
उत्तरों के लिए आप मुझसे कह सकते हैं।
यह संग्रह प्रतियोगी परीक्षाओं, निबंध लेखन और सामान्य ज्ञान के अभ्यास के लिए बनाया गया है। यदि आप चाहें तो मैं