कौन हैं डॉ. वी. नारायणन जो ISRO के नए अध्यक्ष बनेगें

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अगले अध्यक्ष के रूप में डॉ. वी. नारायणन की नियुक्ति की घोषणा की गई है। वे 14 फरवरी 2025 को ISRO प्रमुख का पद संभालेंगे। डॉ. वी. नारायणन, जो कि वर्तमान में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) के निदेशक हैं, अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं।


डॉ. वी. नारायणन का परिचय

  • पूरा नाम: डॉ. वी. नारायणन
  • शिक्षा:
    • रॉकेट और अंतरिक्ष प्रणोदन में विशेषज्ञता।
    • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बैंगलोर से उच्च शिक्षा।
  • वर्तमान पद: लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) के निदेशक।
  • प्रमुख योगदान:
    • GSLV-Mk III रॉकेट के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका।
    • क्रायोजेनिक इंजन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञता।
    • चंद्रयान और गगनयान मिशनों में प्रौद्योगिकी विकास।

डॉ. वी. नारायणन का कार्यकाल: अपेक्षित योगदान

  1. गगनयान मिशन: भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देना।
  2. चंद्रयान-4: चंद्रमा पर नए प्रयोगों को अंजाम देना।
  3. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता: भारत को वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष शक्ति के रूप में मजबूती प्रदान करना।
  4. नए मिशनों की शुरुआत: मंगल, शुक्र और सौर अध्ययन के लिए मिशन।
  5. निजी क्षेत्र की भागीदारी: अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करना।

ISRO का संक्षिप्त परिचय

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है।

  • स्थापना: 15 अगस्त 1969
  • संस्थापक: डॉ. विक्रम साराभाई
  • मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक
  • प्रारंभिक नाम: INCOSPAR (Indian National Committee for Space Research)

ISRO का आदर्श वाक्य:

“स्वदेशी प्रौद्योगिकी द्वारा भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और उपयोग में आत्मनिर्भरता।”


ISRO की प्रमुख उपलब्धियां

  1. आर्यभट्ट (1975): भारत का पहला उपग्रह।
  2. रोहिणी (1980): स्वदेशी रॉकेट से प्रक्षेपित पहला उपग्रह।
  3. चंद्रयान-1 (2008): चंद्रमा पर पानी की खोज।
  4. मंगलयान (2013): पहली बार में सफल मंगल मिशन।
  5. चंद्रयान-3 (2023): चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग।
  6. नाविक (2016): क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम।
  7. PSLV-C37 (2017): एक साथ 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण।

ISRO की संरचना

ISRO विभिन्न केंद्रों और इकाइयों के माध्यम से कार्य करता है:

केंद्र का नामकार्यस्थान
लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC)तरल प्रणोदन प्रौद्योगिकीतिरुवनंतपुरम
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SHAR)प्रक्षेपण स्थलश्रीहरिकोटा
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC)रॉकेट और प्रक्षेपण यान का निर्माणतिरुवनंतपुरम
नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC)पृथ्वी अवलोकन और डेटा प्रबंधनहैदराबाद
इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC)उपग्रहों की निगरानीबेंगलुरु

ISRO के प्रमुख आगामी मिशन

  1. गगनयान (2025):
    • भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन।
    • तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजने की योजना।
  2. सूर्य मिशन (आदित्य-L1):
    • सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन और सौर वायुमंडल का अध्ययन।
  3. मंगल मिशन-2:
    • मंगल पर और गहराई से अध्ययन करने के लिए नया मिशन।
  4. शुक्र मिशन (2026):
    • शुक्र ग्रह की सतह और वायुमंडल का अध्ययन।
  5. चंद्रयान-4:
    • चंद्रमा पर सतह से संबंधित और प्रयोगात्मक अध्ययन।

ISRO से संबंधित रोचक तथ्य

  1. सबसे सस्ता मंगल मिशन: ISRO का मंगलयान मिशन सिर्फ ₹450 करोड़ में पूरा हुआ।
  2. स्वदेशी प्रौद्योगिकी: भारत ने अपने प्रक्षेपण यानों (PSLV और GSLV) को पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित किया है।
  3. निजी भागीदारी: भारत ने 2020 में निजी कंपनियों को अंतरिक्ष अनुसंधान में शामिल करने का निर्णय लिया।
  4. उपग्रह प्रक्षेपण हब: ISRO दुनिया के 50+ देशों के लिए उपग्रह प्रक्षेपित कर चुका है।

डॉ. वी. नारायणन का ISRO के नए अध्यक्ष के रूप में चयन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। उनके नेतृत्व में ISRO की प्राथमिकता गगनयान, चंद्रयान-4 और सौर अध्ययन जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करना है। भारत को वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी बनाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

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